गीता ज्ञान और हरियाणा : अरुण जैमिनी
Krishna जी ने Gita का ज्ञान
Hariyana में ही दिया
इसलिये हरियाणे वालों ने ही
उसे Seriously लिया
लोग हरियाणे वालों के बारे में
पता नहीं क्या-क्या बकते हैं
पर Krishna जी अच्छी तरह जानते थे
कि इतना गूढ़ ज्ञान
हरियाणे वाले ही समझ सकते हैं।
हरियाणे की Mallika Sherawat ने
Gita के ज्ञान को केवल समझा ही नहीं
आचरण में भी उतारा है
गीता में कृष्ण जी ने साफ़ कहा है-
“ये शरीर मिथ्या है
न तुम इस शरीर के हो
न ये शरीर तुम्हारा है।”
Gurgaon में Haryana Police ने
गीता-ज्ञान को इस तरह जिया
कि हड़तालियों को घेरा
और लाठियों से सूत दिया
पिटने वालों के शरीर से ख़ून बह रहा था
और पुलिस के हर प्रहार में
गीता का ज्ञान गूंज रहा था-
“दुनिया क्यों चिंता करती है
किससे व्यर्थ डरती है
कौन तुम्हें मार सकता है
आत्मा न जन्म लेती है, न मरती है।”
हरियाणा के तो ख़ून में गीता का ज्ञान है
भारत की राजनीति में भी इसका
ऐतिहासिक योगदान है
राजनीति में हरियाणा ने ये क़माल किया
कि एक नये मुहावरे को जन्म दिया
हरियाणे के दो विधायक
एक पार्टी में सुबह बिताते थे, दूसरी में शाम
एक का नाम आयाराम
दूसरे का नाम गयाराम
दल बदलते हुए आयाराम गयाराम से
कृष्ण जी के Style में कहता है-
“तुम्हें क्या ग़म है?
परिवर्तन ही संसार का नियम है
नश्वर है माया
कोई नहीं है अपना-पराया
इस भेदभाव से तुम्हें करना किनारा है
फिर तुम सबके हो, सब तुम्हारा है।”
लोग कहते हैं-
हरियाणा वाले किसी से नहीं डरते हैं
जमकर अधर्म करते हैं।
लोगों के मन में तो
हरियाणा खामख्वाह गड़ता है
हरियाणा वाले ख़ुशी-ख़ुशी अधर्म थोड़े ही करते हैं
ये तो उन्हें गीता समझने के कारण करना पड़ता है
कृष्ण जी ने कहा है-
“मैं ही धरती को बचाऊंगा
जब-जब धर्म का नाश होगा
तन तन मैं आऊंगा।”
अधर्म करना हरियाणा वालों की मजबूरी है
क्योंकि भगवान को देश में बुलाना बहुत ज़रूरी है
इन सारे उदाहरणों का होना
ये सिद्ध करता है
कि हरियाणे वाले ज्ञान से नहीं डरते
बल्कि ज्ञान हरियाणा से डरता है।
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