Author Archives:

SONE KI BEEMARI : SHAMBHU SHIKHAR

सोने की बीमारी: शंभू शिखर

आजकल हम अपने-आप से त्रस्त हैं
सोने की भयंकर बीमारी से ग्रस्त हैं
ना मौका देखते हैं, न दस्तूर
सोते हैं भरपूर

एक बार सोते-सोते
इतना टाइम पास हो गया
कि लोगों को
हमारे मरने का आभास हो गया।
वो हमें चारपाई समेत श्मशान उठा लाए
गहरी नींद में हम भी कुछ समझ नहीं पाए
जैसे ही
हमें नहलाने के लिए पानी डाला गया
हम नींद से जाग गये
पर लोग हमे भूत समझ कर भाग गये।

बोर्ड की परीक्षा में
प्रश्न पत्र मिलते ही सो गये
आँख तो तब खुली
जब परीक्षा में फेल हो गये।
एक बार मंच पे
कविता पढ़ते-पढ़ते ही सो गये थे
कुछ पता ही नही चला
कब हूट हो गये थे।
सोते सोते ही खाते हैं
सोते सोते ही नहाते हैं
कई बार तो उठने से पहले ही
सो जाते हैं।
शादी वाले दिन
पहले फेरे के बाद ही सो गये।
नींद तब खुली जब दो-दो बच्चे हो गये।

हमारे पिताजी भी सोने में बड़े तेज थे
एक बार जब रामलीला में उन्हें
कुम्भकरण के रोल में सुलाया गया
फिर तो अगली साल की
रामलीला में ही उठाया गया।
दादाजी सोते सोते ही पैदा हुए
सोते सोते ही मरे थे
उनकी इस प्रतिभा से सब लोग डरे थे।

हम तो वंशवाद निभा रहे हैं
परिवार की सोती परम्परा को
और सुला रहे है।
अब तो बस एक ही तमन्ना है
आयोजक हमें लिफाफे के बदले
दे दे एक चारपाई
साथ में रजाई
हम कविता समाप्त होते ही
मंच पे सो जायेगें
आप को अगली बार बुलाना नही पडेगा
यहीं से उठ कर कविता सुनायेंगे।


Vikas : Surendra Sharma

विकास : सुरेन्द्र शर्मा

एक कमरा था
जिसमें मैं रहता था
माँ-बाप के संग
घर बड़ा था
इसलिए इस कमी को
पूरा करने के लिए
मेहमान बुला लेते थे हम!

फिर विकास का फैलाव आया
विकास उस कमरे में नहीं समा पाया
जो चादर पूरे परिवार के लिए बड़ी पड़ती थी
उस चादर से बड़े हो गए
हमारे हर एक के पाँव
लोग झूठ कहते हैं
कि दीवारों में दरारें पड़ती हैं
हक़ीक़त यही
कि जब दरारें पड़ती हैं
तब दीवारें बनती हैं!
पहले हम सब लोग दीवारों के बीच में रहते थे
अब हमारे बीच में दीवारें आ गईं
यह समृध्दि मुझे पता नहीं कहाँ पहुँचा गई
पहले मैं माँ-बाप के साथ रहता था
अब माँ-बाप मेरे साथ रहते हैं

फिर हमने बना लिया एक मकान
एक कमरा अपने लिए
एक-एक कमरा बच्चों के लिए
एक वो छोटा-सा ड्राइंगरूम
उन लोगों के लिए जो मेरे आगे हाथ जोड़ते थे
एक वो अन्दर बड़ा-सा ड्राइंगरूम
उन लोगों के लिए
जिनके आगे मैं हाथ जोड़ता हूँ

पहले मैं फुसफुसाता था
तो घर के लोग जाग जाते थे
मैं करवट भी बदलता था
तो घर के लोग सो नहीं पाते थे
और अब!
जिन दरारों की वहज से दीवारें बनी थीं
उन दीवारों में भी दरारें पड़ गई हैं।
अब मैं चीख़ता हूँ
तो बग़ल के कमरे से
ठहाके की आवाज़ सुनाई देती है
और मैं सोच नहीं पाता हूँ
कि मेरी चीख़ की वजह से
वहाँ ठहाके लग रहे हैं
या उन ठहाकों की वजह से
मैं चीख रहा हूँ!

आदमी पहुँच गया हैं चांद तक
पहुँचना चाहता है मंगल तक
पर नहीं पहुँच पाता सगे भाई के दरवाज़े तक
अब हमारा पता तो एक रहता है
पर हमें एक-दूसरे का पता नहीं रहता

और आज मैं सोचता हूँ
जिस समृध्दि की ऊँचाई पर मैं बैठा हूँ
उसके लिए मैंने कितनी बड़ी खोदी हैं खाइयाँ

अब मुझे अपने बाप की बेटी से
अपनी बेटी अच्छी लगती है
अब मुझे अपने बाप के बेटे से
अपना बेटा अच्छा लगता है
पहले मैं माँ-बाप के साथ रहता था
अब माँ-बाप मेरे साथ रहते हैं
अब मेरा बेटा भी कमा रहा है
कल मुझे उसके साथ रहना पड़ेगा
और हक़ीक़त यही है दोस्तों
तमाचा मैंने मारा है
तमाचा मुझे खाना भी पड़ेगा


Gita Gyan aur Hariyana : Arun Gemini

गीता ज्ञान और हरियाणा : अरुण जैमिनी

Krishna जी ने Gita का ज्ञान
Hariyana में ही दिया
इसलिये हरियाणे वालों ने ही
उसे Seriously लिया

लोग हरियाणे वालों के बारे में
पता नहीं क्या-क्या बकते हैं
पर Krishna जी अच्छी तरह जानते थे
कि इतना गूढ़ ज्ञान
हरियाणे वाले ही समझ सकते हैं।

हरियाणे की Mallika Sherawat ने
Gita के ज्ञान को केवल समझा ही नहीं
आचरण में भी उतारा है
गीता में कृष्ण जी ने साफ़ कहा है-
“ये शरीर मिथ्या है
न तुम इस शरीर के हो
न ये शरीर तुम्हारा है।”

Gurgaon में Haryana Police ने
गीता-ज्ञान को इस तरह जिया
कि हड़तालियों को घेरा
और लाठियों से सूत दिया
पिटने वालों के शरीर से ख़ून बह रहा था
और पुलिस के हर प्रहार में
गीता का ज्ञान गूंज रहा था-
“दुनिया क्यों चिंता करती है
किससे व्यर्थ डरती है
कौन तुम्हें मार सकता है
आत्मा न जन्म लेती है, न मरती है।”

हरियाणा के तो ख़ून में गीता का ज्ञान है
भारत की राजनीति में भी इसका
ऐतिहासिक योगदान है
राजनीति में हरियाणा ने ये क़माल किया
कि एक नये मुहावरे को जन्म दिया
हरियाणे के दो विधायक
एक पार्टी में सुबह बिताते थे, दूसरी में शाम
एक का नाम आयाराम
दूसरे का नाम गयाराम
दल बदलते हुए आयाराम गयाराम से
कृष्ण जी के Style में कहता है-
“तुम्हें क्या ग़म है?
परिवर्तन ही संसार का नियम है
नश्वर है माया
कोई नहीं है अपना-पराया
इस भेदभाव से तुम्हें करना किनारा है
फिर तुम सबके हो, सब तुम्हारा है।”

लोग कहते हैं-
हरियाणा वाले किसी से नहीं डरते हैं
जमकर अधर्म करते हैं।
लोगों के मन में तो
हरियाणा खामख्वाह गड़ता है
हरियाणा वाले ख़ुशी-ख़ुशी अधर्म थोड़े ही करते हैं
ये तो उन्हें गीता समझने के कारण करना पड़ता है
कृष्ण जी ने कहा है-
“मैं ही धरती को बचाऊंगा
जब-जब धर्म का नाश होगा
तन तन मैं आऊंगा।”
अधर्म करना हरियाणा वालों की मजबूरी है
क्योंकि भगवान को देश में बुलाना बहुत ज़रूरी है

इन सारे उदाहरणों का होना
ये सिद्ध करता है
कि हरियाणे वाले ज्ञान से नहीं डरते
बल्कि ज्ञान हरियाणा से डरता है।


Yusuf Bhardwaj

Yusuf Bhardwaj


Name :
Yusuf Bharadwaj

Birth : 03 March 1942.

About Yusuf-
Yusuf Bharadwaj is a name of Haryanvi comic poetry. He use to recite his observations about general human behavior with a unique comic style.

Current Location- New Delhi.