PAKISTAN ka Bomb : Shrad Joshi

पाकिस्तान का बम : शरद जोशी

सुना है हमारे पाक पड़ोसी पाकिस्तान ने एक अदद एटम बम बना लिया है। बड़ी नाज़ुक सी खूबसूरत चीज़ है। अल्ला के फज़्ल से बन गया है। मरहूम जिया साहब के पास ‘आप जानते हैं’ अमरीका के अख़बार पढ़ने के अलावा कोई काम तो था नहीं। नमाज़ के अलावा वे वही पढ़ते थे। तो फुरसत में बैठे सोचा- चलो, एक एटम ही बना लें। इंशा अल्लाह काम आ गया तो ठीक, नहीं तो म्यूज़ियम में रखवा देंगे।
जैसा आप जानते हैं कि जिया साहब के रिश्ते-रसूख अड़ोसी-पड़ोसियों से चाहे इतने न हों, चोर-उचक्कों से बड़े गहरे थे। उन्होंने सबको चाय पर बुलाकर कहा- भई, एक एटम बम बनाना है। सबने कहा- बन जाएगा हुजूर। इस बार चोरी पर निकलेंगे तो एटम चुरा लाएंगे। उसमें क्या मुश्किल है।
तो साहब, पाक प्रेज़िडेंट जिया साहब के यार-दोस्त गए। किसी ने एक पुर्ज़ा इंग्लैंड से मारा, किसी ने फ्रांस से चुराया, किसी ने कनाडा से गायब किया और ले आए इस्लामाबाद। बाद एक शानदार पार्टी के, जिया साहब ने सारे उर्दू स्कूलों के साइंस पढ़ानेवालों से कहा- कम्बख्तो, अगर नौकरी करनी है तो बनाओ एटम बम। वे लोग क्लासें छोड़-छोड़ कर लग गए बम बनाने में। मार-ठोककर बना दिया।
”बन गया हुजूर। कहिए तो फोड़ कर बताएँ।“
”ख़बरदार जो यह हरकत की! यह मुल्क की शान है। हमारी पोलटिक्स की पहचान है।“ इतना कह कर जिया साहब ने एटम बम एक ट्राफी की तरह सजा कर अपने आफिस में रख लिया। झाड़ू लगाने वालों को सख्त हिदायत दी गई कि खबरदार जो इस पर झाडू फेरी।
गुज़र गए वे दिन। जब तक जिया साहब ज़िन्दा रहे, कहीं एटम बन चोरी न चला जाए, इस डर से वे हमेशा उसे अपने ओवरकोट की जेब में रखकर घूमते थे। ओवरकोट की जेब अमरीका के दर्जियों ने सी थी, इसलिए बम गिरने का कोई खतरा न था। उस पर पाक रूहों का साया बना रहे, इसलिए एक फकीर की ड्यूटी लगी थी। वह बम पर रोज़ लोहबान का धुआँ देकर मंतर पढ़ता रहता था। एक दिन बम चोरी भी चला गया था। जिया साहब तो आपे से बाहर हो गए। कुछ को हंटरों से पीटा, कुछ के हाथ काटे। मतलब इस्लाम जितनी इजाज़त दे सकता था, वो सब किया। बाद में पता लगा कि एटम बम से मुहल्ले के बच्चे खेल रहे हैं। सबको डाट लगाई, ‘खबरदार जो एटम बम को हाथ लगाया। तुम्हारे बाप से शिकायत कर दी जाएगी।’ बच्चे अब एटम बम को हाथ नहीं लगाते। उन्हें बम से ज़्यादा डर तो अपने बाप से लगता है।
एक दिन की बात है। जिया साहब ने सब हवाबाज़ों को बुलाकर कहा, ‘क्यों भई, इंडिया पर बम गिराओगे?’ सबने कहा, ‘क्या बात करते हैं, हमारा दिमाग़ ख़राब हुआ है? आपको पता नहीं हमारे मामू और चचा दोनों हिन्दुस्तान में रहते हैं।’
एक दिन तो जिया साहब इतने गुस्से में आ गए कि चीख कर बोले, ‘कम्बख्तो, अगर तुम हवाई जहाज से जाकर हिन्दुस्तान पर बम नहीं गिरा सकते तो भाड़ में जाओ। हम ट्रेन से जाकर एटम बम गिरा देंगे।’
कुछ लोग कहते हैं कि पाकिस्तान का यह बम हायड्रोजन बम है। दरअसल खुद पाकिस्तान को ही नहीं पता था कि ये हायड्रोजन है कि आक्सीजन। वे उसे प्यार से इस्लामिक बम कहते थे। उम्मीद यह थी कि जैसे ही यह फूटा तो चारों ओर इस्लाम फैल जाएगा। मरहूम जिया साहब जब तक ज़िन्दा रहे हिन्दुस्तान पर एटम बम गिराने की उम्मीद पाले रहे। उनकी प्राॅब्लम यह थी कि एक तो उनके पास अच्छे हवाई जहाज नहीं थे। जो थे तो अच्छे चलानेवाले नहीं थे। चलानेवालों से निशाना ठीक नहीं बैठता था। डर यह रहा कि दिल्ली पर डालने जाएं और लाहौर पर आ गिरे तो क्या करेंगे।
यही उम्मीद रखे पाक प्रेज़िडेन्ट जिया साहब अल्लाह को प्यारे हुए। एक दिन वे हवाई जहाज से जा रहे थे। अमेरिका का एंबेसडर भी उनके साथ था। जिया साहब कोट की जेब से एटम बम निकाल, हाथ पर उछाल-उछाल कर एंबेसेडर को बताने लगे, ‘बोलो, कितने डालर में खरीदते हो? जोरदार चीज है।’ तभी वह एटम बम हाथ से फिसल गया। ज़्यादा नुकसान तो नहीं हुआ। हवाई जहाज टूट गया और जिया साहब मर गए। चाहे एटम हो, बम तो बम ठहरा।
आजकल आप जानते हैं पाकिस्तान में बेनज़ीर की हुकूमत है। बेचारी बड़ी परेशान है। जिस तरह उल्लू मरते हैं और औलादें छोड़ जाते हैं उसी तरह जिया साहब मर गए और बेनजीर के नाम पर अपने एटम बम छोड़ गए हैं। मोहतरमा परेशान हैं। दो बच्चे, एक गवर्नमेंट और छह एटम बम। अकेली जान बेचारी क्या-क्या उठाए।
एक दिन उन्हें परेशान देख अपोजिशन वालों ने आवाज़ लगाई, ‘कुछ वज़न हम भी उठा लें मैडम, कभी मौका तो दीजिए।’
‘थैंक्स, आप रहने दीजिए। हम अपना भारी वज़न खुद उठाना जानती हैं।’ -बेनज़ीर बोली।
बेनज़ीर के मिया ज़रदारी ज़रा भारी-भरकम हैं। वै चैंके। कहीं यह ताना हम पर तो नहीं कसा जा रहा। वे बोले- ‘लाओ, एक बच्चा हमें दे दो।’ माँ नुसरत भुट्टो पास खड़ी थी। बोली- ‘ला बेटी, गवर्मेन्ट मुझे दे दे।’ अब बेनज़ीर के पास छह एटम बम रह गए। जिया साहब के नाम को रोती हाथ में लिए खड़ी है।
एक फौजी आए। बोले- ‘लाइये, ये एटम बम हमें दे दीजिए, हिन्दुस्तान पर डाल आते हैं।’ बेनज़ीर ने कहा, ‘आप होश में तो हैं! सुना इंडिया के पास बारह एटम बम हैं। इन छह के बदले कहीं उन्होंने बारह हम पर डाल दिए तो पाकिस्तान में तो बर्बाद होने के लिए भी उतनी जगह नहीं।’
फिर एक मौलवी आए। कहने लगे, ‘एटम बम तो अल्लाह की देन है। लाइए, एक मस्जिद में रखवा देते हैं। कभी इस्लाम यानी मुल्क खतरे में आया तो इस पर हाथ रख फतवा जारी करेंगे।’ बेनज़ीर ने कहा, ‘बख्शिये। साइंस का मामला है। रिलीजन को इस बीच में न डालिए।’
इस पर केबिनेट बुलाई गई। एक इकानामिस्ट ने कहा, ‘एटम बम एक्सपोर्ट कर चंद डालर कमाए जाएं तो कश्मीर फ्रंट पर फौज के लिए गरम कपड़े बन जाएंगे।’ पाकिस्तान के एक शायर ने एटम बम पर ग़ज़ल लिखी है। क्रिटिक्स का कहना है कि इसमें एटम का मतलब बेनज़ीर है।
एक ने कहा, ‘एक एटम बम इमरान ख़ान को दे दीजिए। बच्चे का हौसला बढ़ जाएगा। इन दिनों अच्छा खेल रहा है।’
बेनज़ीर को समझ नहीं आ रहा कि वह अपने आधा दर्जन एटम बमों का क्या करे। भारत तो है नहीं जो ऐसे नाजुक मामले नज़रअंदाज़ कर जाए। अब है तो रुआब तो करेंगी ही। कुछ दिन पहले पाकिस्तानी महिलाओं की मीटिंग में कहा कि अगर मुल्क ने एटम बम के मामले में ऐसी प्रोग्रेस की तो बड़ी जल्दी लाहौर और कराची के बाज़ार में एटम की साॅस, एटम का अचार और एटम के मुरब्बे मिलने लग जाएंगे।
जो भी हो। यह ख़ुशी की बात है कि एटम के मामले में जो भी प्रोग्रेस होती है, पाकिस्तान रेडियो उसकी खबरें देता रहता है। जैसे परसों खबर थी-
‘रेडियो पाकिस्तान के एक नुमायन्दे को आज यह बताया गया कि आगे से एटम बम पर चिड़िया का घोसला नहीं बनने दिया जाएगा।’
कल-
‘यह खबर सरासर झूठ और अफवाह है कि पाकिस्तान ने जो दो नए एटम बम पिछले दिनों बनाए थे, उन्हें चूहे कुतर गए।’
‘हेल्थ डिपार्टमेंट के एक बुलेटिन में बताया गया है कि इन दिनों पाकिस्तान के साइंसदां एटमबम के घोल से मच्छर मारने की दवाई बनाने की कोशिश में लगे हैं।’
‘एटम बमों पर एटम लगा दिया गया है ताकि एटम बम रखा हो तो लोग दूरी से चलें।’
ख़बरें खत्म हुईं, साथ ही एटम बम भी खत्म हो गया।

To Book Kavi Sammelan our Kavi Sammelan Organizers Contact Number is 9821159679. Just give us a call and we will handle your complete kavi sammelan event.