क्या करेगी चांदनी : हुल्लड़ मुरादाबादी
चांद औरों पर मरेगा, क्या करेगी चांदनी
प्यार में पंगा करेगा, क्या करेगी चांदनी
चांद से है ख़ूबसूरत, भूख में दो रोटियां
कोई बच्चा जब मरेगा, क्या करेगी चांदनी
डिगरियां हैं बैग में पर जेब में पैसा मरेगा
नौजवां फाके करेगा, क्या करेगी चांदनी
लाख तुम फसलें उगा लो एकता की देश में
इसको जब नेता चरेगा, क्या करेगी चांदनी
जो बचा था ख़ून वो तो, सब सियासत पी गई
ख़ुदकुशी खटमल करेगा, क्या करेगी चांदनी
दे रहे चालीस चैनल, नंगई आकाश से
चांद इसमें क्या करेगा, क्या करेगी चांदनी
चांद ऐसे लग रहा जो, फाँक हो तरबूज की
पेट में राहु धरेगा, क्या करेगी चांदनी
क्या करेगा पूर्णिमा का चांद तेरे वास्ते
आगरा भरती करेगा, क्या करेगी चांदनी
लीडरों पर मत लिखो तुम बाद में पछताओगे
जब वही नेता मरेगा, क्या करेगी चांदनी
साँड है पंचायती ये मत कहो नेता इसे
देश को पूरा चरेगा, क्या करेगी चांदनी
एक बुलबुल कर रही है आशिक़ी सैयाद से
शर्म से माली मरेगा, क्या करेगी चांदनी
रोज़ डयूटी दे रहा है, एक भी छुट्टी नहीं
सूर्य को जब फ्लू धरेगा, क्या करेगी चांदनी
गौर से देखा तो पाया, प्रेमिका के मूँछ थी
अब ये ‘हुल्लड़’ क्या करेगा, क्या करेगी चांदनी
पेड़ के नीचे पड़ा है एक गंजा छाँव में
नारियल सर पे झरेगा, क्या करेगी चांदनी
नोट नेता ने विदेशी बैंक में भिजवा दिये
आयकर अब क्या करेगा, क्या करेगी चांदनी
कैश में दस लाख खींचे पार्टी से ख़र्च को
पाँच ये घर पर धरेगा, क्या करेगी चांदनी
मुफ़लिसी में एक शायर भीख मांगेगा नहीं
भूख से चाहे मरेगा, क्या करेगी चांदनी
ईश्वर ने सब दिया पर आज का ये आदमी
शुक्रिया तक ना करेगा, क्या करेगी चांदनी
धन अगर इसने बताया पार्टी के कोश का
ये तो सबको ले मरेगा, क्या करेगी चांदनी
माल जो अंदर किया है, इन लीडरों ने
वक्त सब बाहर करेगा, क्या करेगी चांदनी
एक शायर पी-पिलाकर मंच पर ही सो गया
जब ये खर्राटे भरेगा, क्या करेगी चांदनी
एक रचना को कहा था, बीस कविता पेल दी
ऊब कर श्रोता मरेगा, क्या करेगी चांदनी