Category Archives: Hasya Kavi Sammelan

Hasya Kavi Sammelan in Family Functions

Chirag Jain, Surendra Sharma, Anil Agrawanshi & Yusuf Bharadwaj after a wessing anniversary in Faridabad

Chirag Jain, Surendra Sharma, Anil Agrawanshi & Yusuf Bharadwaj after a wedding anniversary

Arun Gemini, Chirag Jain & Shambhu Shikhar in a wedding event in Bikaner

Arun Gemini, Chirag Jain & Shambhu Shikhar in a wedding event in Bikaner

Arun Gemini & Sanjay Jhala in a Birthday Event in Jaipur

Arun Gemini & Sanjay Jhala in a Birthday Event in Jaipur

Arun Gemini & Chirag Jain performing in a Destination Wedding

Arun Gemini & Chirag Jain performing in a Destination Wedding

एक दौर था, जब Kavi Sammelan केवल साहित्यिक संस्थाओं द्वारा किसी सार्वजनिक स्थल पर ही कराए जाते थे। लेकिन पिछले कुछ दशकों में कवि-सम्मेलनों ने घर-परिवार में Organize होने वाले Wedding Functions, Anniversery, Birthday और यहाँ तक कि General Get Togethers में भी ख़ासा स्थान बना लिया है। Marwadi Weddings में तो Kavi Sammelan धीरे-धीरे आवश्यक सा होता जा रहा है। Ladies Sangeet के साथ Hasya Kavi Sammelan अक्सर करवाया जाता है। Mehandi, Rokna, Sagai, Ghurchadhi से पहले और कुछ जगहों पर तो फेरों से पहले भी कवि सम्मेलन करवाने का रिवाज़ बन गया है।
ये सब वे अवसर हैं जब परिवार के कुछ लोगों या एक वर्ग को छोड़ कर शेष अतिथि लगभग खाली होते हैं। ऐसे में Kavi-Sammelan उन अतिथियों को बोरियत से तो बचाता ही है, साथ ही महफ़िल में Celebrity Performance का रुआब भी बढ़ता है। वैसे भी कवि-सम्मेलन ही एक ऐसा Live Entertainment है जो Family Functions में सर्वाधिक FIT बैठता है। इसका Time Duration आवश्यकतानुसार कम-ज़्यादा किया जा सकता है साथ ही Family Members के बीच हास-परिहास की मर्यादा और गरिमा को भी कवि-सम्मेलन से कोई ख़तरा नहीं होता। शायद यही कारण है कि लोग Family Function या किसी भी अवसर की Family Gathering eक लिये Google पर Kavi Sammelan Booking Search करते हैं और एक Phone Call पर ही अपने महोत्सव में चार चांद लगा लेते हैं।
हिंदी कवि सम्मेलनों के जो नाम पारिवारिक Functions में सर्वाधिक लोकप्रिय हैं उनमें सर्वश्री Arun Gemini, Surendra Sharma, Chirag Jain, Mahendra Ajnabi, Shambhu Shikhar, Ritu Goel, Shailesh Lodha, Pradeep Chobey, Vinay Vishwas, Vedprakash Ved, Sita Sagar और Sanjay Jhala प्रमुख हैं।

World Laughter Day Quotes

World Laughter Day is an occasion to measure our humour graph for everyone. Here we are presenting some memorable quotations on this special occasion. These wallpapers contains quotations of Paul E Mcghee, Oscer Wilde, William Shakespeare, Mark Twain, George RR Martin, Charlie Chaplin, Bennett Cerf & Chirag Jain.

World Laughter Day Quotes (1)

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Opportunities for budding poets

काव्य गोष्ठी : नई प्रतिभाओं का निर्माण स्थल

Hindi के Kavi Sammelan बहुत तेज़ी से अपना स्वरूप बदल रहे हैं। आर्थिक पक्ष से लेकर प्रस्तुति तक का पक्ष इतना Glamorize हो गया है कि नई generation को बहुत effectively अपनी ओर attract कर रहा है। Television और You-Tube पर कवि सम्मेलनों की popularity को देखकर अनेक नए हस्ताक्षर इस क्षेत्र में उतरने को लालायित दिखाई दे रहे हैं।
यूँ तो कविता एकमात्र ऐसी कला है जिसकी Training या Tuition संभव नहीं है। लेकिन किसी के भीतर यदि काव्य के अंकुर हों तो उनको पोषित अवश्य किया जा सकता है। presentation के स्तर पर कवि को fine किया जा सकता है। इस कार्य में सर्वाधिक कारगर हैं काव्य गोष्ठियाँ।
लगभग हर शहर में कवियों का समूह मिलकर एक न एक Masik Kavya Goshthi का आयोजन करता है। सामान्यतया ये गोष्ठियाँ Free of cost होती हैं। इनमें कोई भी New/Fresh/Budding Poet Participate कर अपनी नई-पुरानी कविताओं का पाठ कर सकता है। चूँकि सुनने वाले भी सभी लोग poets होते हैं, इसलिये रचना की बेहतरी की suggestion भी हाथों-हाथ मिल जाती है। औरों को सुनकर न केवल विविध काव्य शैलियों का ज्ञान होता है अपितु यह भी पता चलता है कि कौन से तत्व कविता को कमज़ोर कर देते हैं।
Kavya Goshthi की कवि सम्मेलनों में वही भूमिका है जो फ़िल्म जगत् में Live Drama और नुक्कड़ नाटकों की होती है।
हमारे पास अक्सर ऐसे कवियों के Phone आते हैं जिन्होंने या तो अभी कविता लिखना शुरू किया है या फिर लम्बे समय से लिख रहे हैं, लेकिन कवियों से उनका कोई सम्पर्क नहीं है। यदि आपके क्षेत्र में कोई काव्य गोष्ठी होती है तो उसका विवरण हमें प्रेषित करें ताकि उस क्षेत्र के कवियों को उस गोष्ठी से जोड़ा जा सके।

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काव्य गोष्ठी का नाम –
आयोजक / सूत्रधार –
बारंबारता –
स्थान-
सम्पर्क सूत्र-
शुल्क (यदि हो)-

यदि आपके क्षेत्र में कोई काव्य गोष्ठी नहीं होती तो कृपया कुछ रचनाकारों को संगठित कर किसी पार्क, समुदाय भवन, घर, धर्मशाला, चौपाल अथवा अन्यत्र किसी भी स्थान पर कम से कम मासिक काव्य गोष्ठी का आयोजन करवाने का श्रम करें ताकि नई पीढ़ी को कविता और कवि-सम्मेलनों से जोड़ा जा सके। इसके मार्गदर्शन हेतु आप हमसे सम्पर्क कर सकते हैं +91 9868573612.

Occasions of Hasya Kavi Sammelan

हँसने का कोई मौसम नहीं होता। जहाँ चार यार मिल जाएँ वहीं रात हो गुलज़ार- की तर्ज़ पर अब हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन कराने वाले लोगों में एक बड़ा वर्ग ऐसा है जो इस आयोजन के लिये अवसरों का मोहताज़ नहीं रह गया है। पहले से चले आ रहे परंपरागत आयोजनों की बात करें तो नव वर्ष (New Year), विवेकानंद जयंती (Vivekanand Jayanti), गणतंत्र दिवस (Republic Day), वसंत पंचमी (Vasant Panchami), होली (Holi), नव संवत्सर (Chaitra Shukla Pratipada), महावीर जयंती (Mahavira Jayanti), स्वतंत्रता दिवस (Independence Day), जन्माष्टमी (Janmashtami), शिक्षक दिवस (Teachers Day), पर्यूषण (Paryushan), क्षमावाणी (Kshamavani), हिंदी दिवस (Hindi Diwas), अग्रसेन जयंती (Agrasen Jayanti), नवरात्रि (Navratri), शरद पूर्णिमा (Sharadotsava), बाल दिवस (Bal Diwas), दीपावली (Dipawali), नव वर्ष (New Year)- ये नियमित क्रम है कवि सम्मेलनों (Kavi Sammelans) के आयोजनों का।
लेकिन इन अवसरों से इतर भी कवि सम्मेलनों की एक बड़ी शृंखला ऐसी है जो लगभग पूरे वर्ष चलती रहती हैं- शैक्षणिक संस्थानों के Foundations Day, Annual Day, Annual Fests, Corporates के Festivals, Corporates की Clint Meets, NGO’s के Various occasions, Banks और Media Groups के शृंखलाबद्ध उत्सव, Fairs (i.e. Trade Fair, Shilpotsava, Surajkund Craft Mela, Pushpotsava, Pushkar Mela, Nauchandi Mela, Bada Babu Mela, Kumbh Mela, Literary Fests, Book Fair, Health Mela & Food fair etc.) Prize distribution ceremonies of various institutions & Medical Colleges.
इससे कुछ आगे बढ़कर बहुत से संस्थान ऐसे हैं जिनमें कवि-सम्मेलन स्वयं में एक वार्षिक आयोजन है। अब कवि सम्मेलन के लिये हज़ारों लाखों की भीड़ जुटाने की बाध्यता भी समाप्त हो रही है। महिला क्लब, Lions Club, Rotary Club और ऐसे ही तमाम सामाजिक संगठनों की Monthly Meetings में Kavi Sammelan का आयोजन आम हो चला है। घर-परिवार में होने वाली छोटी-मोटी Get-together में एक-दो या तीन हास्य कवियों को बुलाकर छोटा सा कार्यक्रम करने का चलन भी आम हो गया है। शादी, सगाई, पिकनिक और यहाँ तक कि कुआँ पूजन जैसे विशुद्ध पारिवारिक उत्सवों में एक-दो घंटे के हास्य कवि सम्मेलनों की संख्या में क़ाफ़ी इज़ाफ़ा हुआ है।
कवि सम्मेलनों के इस बढ़ते प्रभाव को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि हम फूहड़ कार्यक्रमों से ऊब कर फिर से अपने साफ़-सुथरे मनोरंजन माध्यमों की ओर मुख़ातिब हुए हैं। शायद यह संस्कृति के स्वर्ण युग का आग़ाज़ है।

Kavi Sammelan : Glamour & Corporate

हिंदी कवि सम्मेलनों के बदलते स्वरूप में आयोजकों के बदलते चेहरे का बड़ा योगदान है। पहले कवि सम्मेलन का सामान्य अर्थ था किसी गली-नुक्कड़ पर टैंट या पांडाल लगाकर मंच बनाना, मंच पर मसनद, एक माइक, सात-आठ से लेकर बीस-बाइस तक कविगण, और कुछ सौ श्रोता। लेकिन अब कवि सम्मेलन अपनी इस परंपरागत छवि से बाहर आ रहे हैं। अब कविता Corporate जगत् में प्रवेश कर रही है। मसनद की जगह सोफ़े आ गये हैं, पांडाल की जगह आलीशान Auditoriums, कवियों के ठहरने के लिये धर्मशालाओं की जगह Five Star Hotals और दरी पर बैठने वाले कुछ सौ श्रोताओं की जगह सोफ़े-कुर्सियों पर बैठे हज़ारों Audiences।
जब कवि-सम्मेलनों के आयोजन आरंभ हुए थे तब पोस्टकार्डों पर पत्र-व्यवहार के ज़रिये कवियों को आमंत्रित किया जाता था। अब यह प्रक्रिया इंटरनेट के और फोन के माध्यम से सम्पन्न होती है। प्रोफ़ेशनलिज़्म ने Booking के समय Advance Payment की परंपरा डाली है। रेल के Second Class से शुरू हुई कवि-सम्मेलनीय यात्रा आज Flight के Business Class और Chartered Flights तक पहुँच गई है। कवि सम्मेलन अपने शुरुआती स्वरूप में धार्मिक उत्सवों, सामाजिक आयोजनों के Part हुआ करते थे। लेकिन अब Educational Institutes के Annual Day और Annual Fest, Corporate Functions, Marriage, Birthday Party, Bollywood Nights, Corporate Picnic और Family Functions तक में शामिल हो रहे हैं। राज्य सरकारें, केन्द्र सरकार, सरकारी विभाग, निगम, बैंक, NGO’s, पर्यटन, Doctors Associations, Bar Councils, Fashion World, Engineers, Media Houses, Political Parties, Private Limited Companies, Student Unions और कुंभ, शिल्पोत्सव, सूरजकुंड, नौचंदी, गणगौर, पुष्कर जैसे बड़े मेलों में भी कवि सम्मेलन एक Important Event के रूप में स्थापित हुए हैं।
सवा रुपैये के मानदेय से शुरु हुए कवि सम्मेलन अब हज़ारों के आँकड़े को लांघ कर लाखों तक पहुँच गये हैं। अब कवि Cheque और Demand Draft से Payment लेने लगे हैं। कवि अपनी आय से Income Tax तो दे ही रहे हैं साथ ही बहुत से कवियों ने Service Tax Registration भी करा लिया है। कवि TDS कटा रहे हैं। सरकारी ख़ज़ाने में योगदान कर रहे हैं। कवियों ने Personal Assistants, Secretaries और Offices रखने शुरू कर दिये हैं। माँ सरस्वती के लाडले कवियों को Celebrity Status मिला है। कवियों के Fans Club बने हैं। इन सारे परिवर्तनों ने कुर्ते-पायजामे वाले कवियों को Coat-Pant, Jackets, Vest-Coat, Tie और Glamour की दुनिया के अन्य परिधानों का रुख़ किया है।
कविता और कवि-सम्मेलनों के इन बदलावों में महती योगदान रहा है कार्पोरेट जगत् का। अनेक ऐसी बड़ी कंपनियाँ हैं, जो अपने विविध कार्यालयों में कवि-सम्मेलन करवाती हैं। इनमें प्रमुख Companies की सूची यहाँ दी जा रही है-

Akhil Bhartiya Vidyarthi Parishad, Bahujan Samaj Party (BSP), Bhartiya Janta Party (BJP), Samajwadi Party, Shivsena, Vishva Hindu Parishad, Rashtriya Janta Dal, CPI, CPI (M), Indian National Congress, Indian National Lok Dal, NSUI, Patanjali Yogpeeth, Airtel, Bharat Sanchar Nigam Limited (BSNL), Mahanagar Telephone Nigam Limited, Aditya Birla Group, Tata, Videocon, Godrej, Surya, Jaypee Group of Industries, Bharat Vikas Parishad, Ekal Vidyalaya, Sanskar Bharti, Lions Club, Rotary Club, Agrawal Samaj, Maheshwari Samaj, Brahman Samaj, Jain Samaj, All India Indstitute of Medical Sciences (AIIMS), Banaras Hindu Vishvavidyalaya (BHU), Barkatullah University Bhopal, Delhi Technical University, Delhi University, Himachal Pradesh University, Indian Institute of Financial Management (IIFM), Indian Indtitute of Foreign Trade, Indian Institute of Fashion Technology, National Institute of Fashion Technology, Indian Institute of Management Ahamadabad, Indian Institute of Management Banglore, Indian Institute of Management Kolkata, Indian Institute of Technology Delhi, Indian Institute of Technology Kanpur, Indian Institute of Technology Khadagpur, Indian Institute of Technology Roorkie, Indian Institute of Technology Madras, Indian Institute of Technology Mumbai, Jain Vishwa Bharti, Sikkiam Manipal University, Jawaharlal Nehru University, Jodhpur National University, Mahatma Gandhi Institute of Medical Sciences, U P Rural Institute of Medical Science & Research, Mahatma Gandhi University, Kendriya Vidyalaya, Navodaya Vidyalaya, Maulana Azad Medical College, Nalanda Medical College, Patna Medical College, Bank of Baroda, Punjab National Bank, Oriental Bank of Commerce, Bank of India, Canara Bank, Central Bank of India, Indian Bank, LIC, State Bank of India, Assocham, FICCI, ITPO, All India Radio, Amar Ujala, Dainik Bhaskar, Nayi Duniya, Rajasthan Partika, Dainik Jagaran, Doordarshan, Haribhumi, Dainik Hindustan, Hindustan, Navbharat Times, Rashtriya Sahara, Prabhat Khabar, Government of Bihar, Government of Chhattisgarh, Government of Madhya Pradesh, Government of Uttar Pradesh, Government of Delhi, Government of Himachal Pradesh, Government of Uttarakhand, Government of Jharkhand, Government of Haryana, Government of Rajasthan, Government of Gujarat, Government of India, Municipal Corporation of Delhi, Delhi Tourism, Bihar Tourism, Haryana Tourism, Chhattisgarh Tourism, Maharashtra Tourism, Madhya Pradesh Tourism, Uttar Pradesh Tourism, Gujatrat Tourism, J&K Tourism, Andaman & Nikobar Tourism, ICCR, Kumbh Mela, Surajkund Mela, Nauchandi Mela, Shilpotsava, Delhi Merto Rail Corporation, Engineers India Limited, GAIL, IFFCO, Kribhco, Indian Railways, Khadi Gramodyog, National Minaral Development Corporation, NHPC, NTPC, Bharat Patrolium, Bharat Heavy Electronics Limited (BHEL), SAIL, Hindustan Petroleum, Indian Oil, ONGC, Power Finance Corporation, Powergrid, Border Security Force (BSF), CISG, Central Reserve Police Force (CRPF), Coast Guard, Delhi Police, Food Corporation of India, G4S Security, Indian Army, Indian Air Force, UGC, UPSC

Kavi Sammelan & Media

यद्यपि हिंदी कवि सम्मेलन संचार के परंपरागत माध्यमों में गणित किये जाते हैं, तथापि प्रचलित समाचार माध्यमों और कवि सम्मेलनों के मध्य एक शीत युद्ध सा चलता रहा है। एक समय था जब हिंदी के सभी प्रमुख समाचार-पत्र कवि-सम्मेलनों और कवियों से संबंधित समाचारों को प्रमुखता से प्रकाशित करते थे। इसके पीछे एक प्रमुख कारण यह भी था कि तब पत्रकारों की बिरादरी में अधिकतर नाम ऐसे थे जो कवि-सम्मेलनों के मंचों पर भी समान रूप से सक्रिय थे। इस दौर में साप्ताहिक हिंदुस्तान, धर्मयुग, जनसत्ता और जागरण जैसे तमाम पत्र कविता के बिना पूरे नहीं होते थे। इस दौर में पत्रकारिता और कविता के मध्य एक गहरा सामंजस्य दिखाई देता था।
इसके बाद बहुत तेज़ी से मंच और पत्रकारिता; दोनों ने अपना स्वरूप बदलना शुरू किया। उधर पत्रकारिता सिद्धांतों की मचान छोड़कर पूरी तरह बाज़ार में आ खड़ी हुई और इधर मंच की कविता में मनोरंजन के तत्व का अनुपात बढ़ गया। दोनों ही कुनबों में अर्थ हावी होता दिखने लगा। इसमें कुछ ग़लत भी नहीं था। पत्रकार और कवि को अपनी पुरानी झोलाछाप छवि को त्याग कर ग्लैमराइज़ होने का अवसर मिलने लगा। अब पत्रकारिता और मंचीय कविता दोनों ही अपने भूखे बेचारे चेहरे को पीछे छोड़ने लगे थे। अब कविता ने भी खादी के मोटे भदेस कुर्ते को त्याग कर पैंट-बुर्शेट पहनना शुरू कर दिया था और पत्रकारिता भी कपड़े का झोला छोड़ कर मॉडर्न होने लगी थी।
लेकिन परिवर्तन के इस दौर में “साहित्यिक पत्रकारिता” लगभग विलुप्त होने के कगार पर पहुँच गई। उधर पत्रकारिता काग़ज़ और क़लम को त्याग कर लैपटॉप और इंटरनेट तक पहुँच गई थी और इधर कविता भी कॉर्पोरेट और ग्लैमर के परकोटे में प्रवेश कर गई थी। बदलाव का सफ़र पूरा करने के बाद जब इन दोनों ने परस्पर एक-दूसरे से साक्षात्कार किया तो दोनों ही बहुत बदले-बदले नज़र आए। “सावन के अंधे” की तरह दोनों की स्मृतियों में एक-दूसरे की जो छवि थी वह दो दशक पूर्व वाली ही थी, लेकिन दोनों ही इस सत्य को देखने से चूक गए कि जो परिवर्तन उन्हें सामने वाले में दिखाई दे रहे हैं, उससे कहीं ज़्यादा परिवर्तन उनकी अपनी पर्सनैलिटी में भी है।
इस सत्यज्ञान के अभाव में कवि पत्रकारों को पत्रकार मानना बंद कर चुके हैं और पत्रकारों ने कवियों को कवि मानना बंद कर दिया है। आज जब कोई पत्रकार किसी कुमार विश्वास को बिज़निस क्लास में सफ़र करता देखता है तो यह भूल जाता है कि उनका दीपक चौरसिया भी चार्टर्ड प्लेन में उड़ने लगा है। जब कोई सुरेन्द्र शर्मा प्रशंसकों की भीड़ से घिरा ऑटोग्राफ देता दिखाई देता है तो यह बात ध्यान में नहीं आती कि बरखा दत्त जब जनता के बीच जाती हैं तो रिपोर्ट कम देती हैं और फ़ैंस रेस्पोंस ज़्यादा। हमारे शैलेष लोढ़ा को पब्लिक के बीच से निकलने के लिये कभी-कभी सिक्योरिटी की ज़रूरत पड़ जाती है तो उनके रवीश भी कई बार यह स्थिति भुगत चुके हैं। हमारे अशोक चक्रधर का राजनैतिक हलक़नामों में दख़ल बढ़ने लगा है तो उनके प्रभु चावला भी राजनेताओं से सीधे संपर्क में रहते हैं। हमारे अरुण जैमिनी सूट पहनकर टाई लगाए हुए मंच पर दिखने लगे हैं तो उनके रजत शर्मा भी बहुत लम्बे समय से कुर्ते में नहीं दिखाई दिये। हमारी नई पीढ़ी मंच पर गीत कम और चुटकुले अधिक सुना रही है तो पत्रकारों की नई खेंप भी भाषा की परिपक्वता को ताक़ पर रखकर फ़िल्मी गानों को उद्धृत करते हुए पीटूसी देने लगी है। हमारी कविताओं में अंग्रेजी के शब्द स्थान पाने लगे हैं तो उनकी रिपोर्टिंग की भाषा को भी हिंग्लिश के रूप में मान्यता मिल चुकी है।
कुल मिलाकर स्थिति यह है कि संचार की इन दोनों ही विधाओं (जिन्होंने कभी एक ही पगडंडी से अपना सफ़र प्रारंभ किया था) इन्होंने आज अपनी-अपनी लेन में दूसरे का प्रवेश बंद कर दिया है। इधर कुछ दिनों से एंटरटेनमेंट मीडिया ने फिर से मंचीय कविता की सुध लेनी शुरू कर दी है। सब टीवी पर चल रहा “वाह-वाह क्या बात है” टीआरपी इंडेक्स में सुदृढ़ स्थिति बनाए हुए है तो महुआ चैनल भी “वाह कवि जी” नाम से हास्य कवियों का एक शानदार शो लेकर मैदान में उतर रहा है। बजट जैसे महत्वपूर्ण विषय पर सहारा समय ने कवियों के इनपुट्स डाले हैं।
देश में हर साल हज़ारों कवि-सम्मेलन आयोजित होते हैं लेकिन उनमें से 20 प्रतिशत भी अख़बारों के पृष्ठों पर स्थान नहीं ले पाते। जो कुछ ख़बरें छपती भी हैं वे सिंगल कॉलम या अधिक से अधिक डबल कॉलम तक सिमट कर रह जाती हैं। जागरण, अमर उजाला और हिंदुस्तान में फिर भी कभी-कभी सचित्र रिपोर्टिंग देखने को मिल जाती है लेकिन दिल्ली के संस्करणों में यह आँकड़ा बेहद न्यून रह जाता है। नवभारत टाइम्स में पिछले कुछ सप्ताह से कुछ शायरों के अशआर रविवार को प्रकाशित किये जा रहे हैं। यह मरुथल में बबूल के पेड़ जैसा महसूस होता है।
आज मंचीय कविता ग्लैमर के केंद्र की ओर अग्रसर है। अनेक कवि सेलिब्रिटी स्टेटस जी रहे हैं। कवि-सम्मेलन कॉर्पोरेट जगत् तक पैंठ बना चुका है। ऐसे में इलैक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया को कवि-सम्मेलनों और कवियों की ख़बरों के प्रदि गंभीर होना चाहिये। दिल्ली जैसे महानगरों की डेवलप्ड मीडिया की उदासीनता अनजाने ही ख़बरों का एक ऐसा बड़ा कोष छोड़े दे रही है, जो न केवल ख़बरों का टोटा कम करने को पर्याप्त है बल्कि पेज थ्री गॉसिप के लिये भी उपयुक्त हो सकता है।

चिराग़ जैन

Kavi Sammelan

हिंदी कविता और हिंदी कवि सम्मेलनों का कब-क्या स्वरूप रहा- इस बहस से कहीं अधिक महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि कवि सम्मेलन हर समय में जन भावना की आवाज़ रहे हैं। चौबीस घंटे के News Channels से लेकर अख़बारों और Cyber Media तक कवि सम्मेलनों की टिप्पणियाँ और काव्यांश Quote होते रहे हैं।
यदि यह कहा जाए कि कवि-सम्मेलन वर्तमान परिप्रेक्ष्य पर निगाह रखते हुए, घटनाओं-गतिविधियों पर मंथन कर, समाज को सजग करने वाले सर्वाधिक सक्रिय और सम्पन्न माध्यम हैं। कभी व्यंग्य, कभी हास्य, कभी ओज और कभी शृंगार के माध्यम से यह संस्थान हर युग को अपने परिवेश में हो रहे बदलावों से अवगत कराता रहा है।
Suryakant Tripathi ‘Nirala, Maithili Sharan Gupt, Ramdhari Singh Dinkar, Mahadevi Verma, Subhadra Kumari Chauhan, Harivansh Rai Bachchan, Baba Nagarjun, Shivmangal Singh Suman, Bhawani Prasad Mishra, Gopal Singh Nepali, Sumitra Nandan Pant, Sohanlal Dwivedi, Balbir Singh Rang, Bharat Bhushan, Ramanath Avasthi,Dewal Ashish, Kshemchandra Suman, Atmaprakash Shukla, Kanhaiya Lal Nandan, Devraj Dinesh, Gopal Prasad Vyas, Ramavtar Tyagi, Sharad Joshi, Rajgopal Singh, Shailendra, Ramrikh Manhar, Vimlesh Rajasthani, Kaka Hathrasi, Radhey Shyam Pragalbh, Shail Chaturvedi, Urmilesh Shankhdhar, Hullad Moradabadi, Omprakash Aditya, Alhar Bikaneri, Agnivesh Shukla, Sagar Khaiyami, Neeraj Puri, Om Vyas Om, Madhumita Shukla, Indira Indu और Shyam Jwalamukhi जैसे न जाने कितने फ़नक़ार कवि-सम्मेलनों का चेहरा बन अपने-अपने युग का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।
पूर्व प्रधानमंत्री Atal Bihari Vajpeyi, Ramdhari Singh Dinkar, Bhawani Prasad Mishra, Balkavi Bairagi Bekal Utsahi, Uday Pratap Singh, Ompal Singh Nidar, Kumar Vishwas, Prabha Thakur, Barkha Singh, और Satyanarayan Sattan जैसे अनेक नाम कविता की शक्ति से लोकप्रियता के चरम तक पहुँचे और राजनैतिक क्षेत्र में सफलता के सोपान चढ़े।
मंचीय कविता के माध्यम से प्रसिद्धि हासिल कर बॉलीवुड की दुनिया में गीतों और संवादों के मोती पिरोने वाले हस्ताक्षरों की सूची तैयार की जाए तो Gopal Das Neeraj, Atmaprakash Shukla, Santosh Anand, Shailendra, Maya Govind, Vishveshwar Sharma, Balkavi Bairagi, Ramavtar Tyagi, Indrajeet Tulsi, Kunwar Bechain, Veenu Mahendra, Charanjeet Charan, Sunil Jogi, Prabha Thakur, Nida Fazli, Rahat Indori, Gemini Haryanvi, Alhar Bikaneri, Kaka Hathrasi, Ashkaran Atal, K P Saxena, और Sharad Joshi जैसे तमाम नाम सामने आएंगे।
ये कवि सम्मेलनों की शक्ति ही थी कि Rajkapur और Manoj Kumar जैसे बड़े फ़िल्मकारों ने अपनी फ़िल्मों के लिये गीतकारों की तलाश में कवि-सम्मेलनों में आना जाना शुरू किया। रेलवे के कवि सम्मेलन में Shailendra को सुनने के बाद Rajkapur स्वयं उनके घर गए। Dev Anand जैसा फ़िल्मकार Neeraj जी की तलाश में अलीगढ़ तक आया। और Manoj Kumar की अधिकतम फ़िल्में Santosh Anand जी के गीत के बिना पूरी नहीं होती थीं।
इसके इतर भी रूपहले पर्दे से कवि-सम्मेलनों का गहरा रिश्ता रहा है। Surendra Sharma जी ने ‘संतोष’ फ़िल्म में अभिनय किया है तो ‘मज़े ले लो’ नामक फ़िल्म में बाक़ायदा कवि-सम्मेलन का दृश्य फ़िल्माया गया है, जिसमें उस समय के तमाम बड़े कवियों का काव्य पाठ सम्मिलित है। राजश्री फ़िल्म ने तो “कवि-सम्मेलन” नाम से तीन घंटे की पूरी फ़ीचर फ़िल्म का निर्माण किया।
दूरदर्शन और आकाशवाणी के जन्म से ही कवि सम्मेलनों और काव्य गोष्ठियों के प्रसारण की परंपरा रही है, जो आज भी क़ायम है। दूरदर्शन की केन्द्रीय कार्यक्रम निर्माण (CPC) इकाई के गठन के बाद Govind Vyas जी ने कवि-सम्मेलन को एक नियमित कार्यक्रम के रूप में स्थापित किया। Ashok Chakradhar जी द्वारा संचालित फुलझड़ी एक्सप्रेस भी अपने समय पर कविताओं का लोकप्रिय कार्यक्रम रहा। इक्कीसवीं सदी में प्रवेश करते-करते जब सेटेलाइट टेलिविज़न पूरे भारत में ज़ोर पकड़ चुका था तब ईटीवी उर्दू (ETV Urdu) का मुशायरा ख़ासा लोकप्रिय होने लगा। फिर तमाम छोटे-छोटे टीवी चैनलों पर कविता पाठ के लिये विविध कार्यक्रमों का सृजन हुआ। SAB TV पर Ashok Chakradhar द्वारा संचालित “Wah-Wah” ने इस क्षेत्र में मील का पत्थर स्थापित किया। कालांतर में इस कार्यक्रम का संचालन क्रमशः Subhash Kabra और Shailesh Lodha ने किया। इसी दौरान NDTV पर Kumar Sanjoy Singh के संचालन में “Arz Kiya Hai” कार्यक्रम प्रारंभ किया गया, जिसको लोगों ने ख़ूब सराहा। Neeraj Puri ने India Live चैनल पर Khabardar Khabrein कार्यक्रम का संचालन प्रारंभ किया जिसका संचालन बाद में Deepak Gupta ने किया। Live India चैनल पर Shailesh Lodha के संचालन में “Kya Baat Hai”; Arun Gemini के संचालन में NEPC चैनल पर “हँसगोला”; Zee TV पर Arun Gemini के संचालन में “दरअस्ल”; Zee India चैनल पर Arun Gemini के संचालन में “यही है पॉलिटिक्स” और Sadhana TV पर “Satmola Kaviyon Ki Chaupal” जैसे तमाम कार्यक्रम टेलीविज़न के दर्शकों तक कविताएँ पहुँचाते रहे। उधर Dabang चैनल पर “Bahut Khoob” के माध्यम से Shailesh Lodha ने कवि-सम्मेलनों को और ऊँचाई प्रदान की। SAB TV पर “Wah Wah Kya Baat Hai” कार्यक्रम टीवी पर प्रसारित होने वाले कवि सम्मेलनों के सर्वाधिक Glamorized Format का उदाहरण बना हुआ।
वर्तमान समय में Surendra Sharma, Ashok Chakradhar, Pradeep Chobey, Gemini Haryanvi, Govind Vyas, Manik Verma, Ashkaran Atal, Arun Gemini, Kumar Vishwas, Pratap Faujdar, Shailesh Lodha, Satyanarayan Sattan, Mahendra Ajanabi, Vedprakash Ved, Surendra Dubey, Praveen Shukla, Chirag Jain, Sunil Jogi, Popular Meeruthi, Dr. Surendra Dube, Shambhu Shikhar, Haresh Chaturvedi, Sarvesh Asthana, Deepak Gupta, Hariom Panwar, Vineet Chauhan, Vedvrat Vajpeyi, Jagdish Solanki, Gajendra Solanki, Ashish Anal, Manveer Madhur, Rajesh Chetan, Kamlesh Sharma, Gopaldas Neeraj, Santosh Anand, Uday Pratap Singh, Som Thakur, Kishan Saroj, Kunwar Bechain, Vishnu Saxena, Suresh Upadhyaya, Ramesh Sharma, Dinesh Raghuvanshi, Suresh Avasthi, Kumar Manoj, Rajendra Rajan, Shiv Om Amber, Munavvar Rana, Rahat Indori, Nawaz Deobandi, Surya Kumar Pandey, Charanjeet Charan, Sita Sagar, Sarita Sharma, Kirti Kale, Nutan Kapur, Suman Dubey और Ritu Goel जैसे तमाम रचनाकार हास्य, ओज और शृंगार कविताओं के माध्यम से लोकप्रियता के नित नये सोपान चढ़ रहे हैं।
Anna Hazare के जन आंदोलन में Kumar Vishwas की सक्रियता हो या Baba Ramdev की क्रांति में Hariom Panwar, Gajendra Solanki और Manveer Madhur की भूमिका; हर गतिविधि कवि-सम्मलेनों से प्रभावित होती है और कवि-सम्मेलनों को प्रभावित करती है। Facebook, Twitter, Orkut, LinkedIn, और अन्य तमाम सोशल साइट्स पर कवियों की पंक्तियाँ और टिप्पणियाँ कट-पेस्ट करने का कल्चर ज़ोरों पर है। YouTube तो कवि सम्मेलनों की Videos से भरा ही हुआ है। Ramesh Muskan, Sarvesh Asthana, Chirag Jain, Shambhu Shikhar और Vedprakash Ved उन चंद हस्ताक्षरों में से हैं जो Facebook पर अपनी टिप्पणियों के लिये सर्वाधिक पढ़े जाते हैं।
इतने बृहद और विस्तृत संस्थान की अभी तक ऐसी कोई व्यवस्थित संस्था नहीं है जिस पर देश-विदेश में आयोजित होने वाले सभी कवि-सम्मेलनों की सूचनाएँ आप तक पहुँचा सके। ऐसे में हमने इस Web Portal के माध्यम से एक ऐसा मंच तैयार किया है जो न केवल आयोजकों को कवि-सम्मेलनों के आयोजन में मदद करेगा बल्कि कवि-सम्मेलन से संबंधित Reports, Press Clips, Videos, और अन्य चर्चाएँ जन सामान्य तक पहुँचाने का प्रयास करेगा।
यदि आपके क्षेत्र में किसी कवि सम्मेलन का आयोजन हो तो आप उसकी Report और उसका चित्र हमें प्रेषित करें, साथ ही यदि किसी अख़बार में कोई Report प्रकाशित हुई हो तो उसको भी scan कर के हमारे पास प्रेषित कर सकते हैं। आपके सहयोग से धीरे-धीरे हम इस Web page को अधिक से अधिक उपयोगी बना सकेंगे।

-चिराग़ जैन

Hasya Kavi Sammelan

Laughter Show

भागती-दौड़ती ज़िंदगी में ठहाकों की गुंज़ाइश बनाना थोड़ा मुश्क़िल तो है, लेकिन इस मुश्क़िल काम को करने के बाद एहसास होता है कि ज़िंदगी उतने ही पलों का नाम है, जितने हँस कर गुज़ार दिये। शायद यही कारण है कि जो Hasya Kavi Sammelan कभी गली-नुक्कड़ों की शोभा बनता था वही आज Government Offices, Corporate Houses, Family Functions, Birthdays, Marriage, Engagement, Marriage anniversary, International Organizations, Parliament House, President House, Legislative Assemblies, Governor House, Dealers Meet, Engineering Colleges, Medical Colleges, Hospitals, Jail, Educational Institutions, Morning walk, Business Clubs, Ladies Clubs, Spiritual Occasions, Political parties, Picnic, Bollywood nights, Cricket Clubs, Sports Clubs, University, College, Schools और यहाँ तह कि संतों के प्रवचनों में भी आयोजित होने लगे।
10-15-20 कवियों की परम्परा अब 2 कवियों के Compact Kavi Sammelan तक आ पहुँचा है। Laughter की बढ़ती Demand ने कवि सम्मेलनों को Crispy, Compact और Corporate बना दिया है। अब कवियों के Jodi में भी Perform करना शुरू कर दिया है।
कवि सम्मेलन की सफलता में Coordinator (संयोजक) की भी अहम् भूमिका होती है। Occasion और Audience के अनुरूप कार्यक्रम की Duration कितनी रहेगी, किस-किस कवि को Team में रखा जाये, किस-किस कवि से कौन-कौन सी कविता की Demand की जाये -इन सब बातों पर यदि ध्यान दिया जाये तो Kavi Sammelan की Success की Guaranty सी हो जाती है।
Selection of Poets भी अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। Ashok Chakradhar, Surendra Sharma, Gopaldas Neeraj, Arun Gemini, Mahendra Ajanabi, Sunil Jogi, Pratap Faujdar, Hari Om Panwar, Shailesh Lodha, Vedprakash Ved, Chirag Jain, Gajendra Solanki, Sarita Sharma, Shambhu Shikhar, Vinay Vishwas, Kumar Vishwas, Sampat Saral, Vishnu Saxena, Mumtaz Naseem, Rahat Indori, Munavvar Rana, Aash Karan Atal, Tej Narayan Sharma Bechain, Kunwar Bechain, Mohinder Sharma, Ritu Goel, Madan Mohan Samar, Vineet Chauhan, Praveen Shukla, Sanjay Jhala, Dinesh Raghuvanshi, Charanjeet Charan, Deepak Gupta, Rajesh Chetan, Ramesh Muskan, Manveer Madhur, Kailash Mandela, Surya Kumar Pandey, Arjun Sisodiya, Ashish Anal, Deepak Saini, Dinesh Bawra, Sudeep Bhola, Govind Vyas, Jagdish Solanki, Kamlesh Sharma, Pawan Deekshit, Ghanshyam Agrawal, Kirti Kale, Surendra Dubey, Manik Verma, Pradeep Chobey, Pramod Tiwari, Ramesh Sharma, Sarvesh Asthana, Seeta Sagar, Shiv Om Ambar, Suman Dubey और Udaypratap Singh आदि कवियों का Contact ढूंढते हुए जब कोई Google Search करता है तो ऐसी ऊल-जलूल साइट्स पर जा पहुँचता है जहाँ सही जानकारी के अतिरिक्त सब कुछ होता है।
इसी उद्देश्य से इस website को कुछ कवियों ने मिलकर तैयार किया है ताकि kavi sammelan organize करवाने वालों को इधर-उधर सिर न मारना पड़े।