सूरज : ख़ुशबू शर्मा
ढल गया दे के रोशनी सूरज
कह गया बात इक नई सूरज
एक्टिंग डूबने की करता है
डूबता तो नहीं कभी सूरज
शाम होते ही छोड़ जाता है
रोज़ ऑंखों में कुछ नमी सूरज
रात गुज़री तो चांद कहने लगा
फिर चुरा लेगा चांदनी सूरज
बात सब आसमां की करते हैं
मेरी नज़रों में हैं कई सूरज
रात ढलने का इंतज़ार तो कर
सुब्ह लाएगी फिर वही सूरज