Poets : Surendra Sharma, Surendra Dubey, Arun Gemini, Vedprakash Ved
Place : HongKong
Date : 12 June 2013
Organizers : Rajasthani Samaj & HK Progressive Group
Poets : Surendra Sharma, Surendra Dubey, Arun Gemini, Vedprakash Ved
Place : HongKong
Date : 12 June 2013
Organizers : Rajasthani Samaj & HK Progressive Group
16 May 2013 को Badayun के प्रख्यात गीतकार, Badayun Mahotsav के संस्थापक एवं संयोजक रहे Dr. Urmilesh Shankhdhar की 8वीं पुण्यतिथि पर Ek Sham Dr Urmilesh ke Naam का आयोजन किया गया। Akashwani Rampur के कलाकारों ने गीतों एवं गजलों की प्रस्तुति से समां बांध दिया। Dr Urmilesh Janchetna Samiti की ओर से बुधवार की शाम Badayun Club में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। आकाशवाणी रामपुर के कलाकारों ने Dr. Urmilesh द्वारा रचित एकल व समूह गीत सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम का शुभारंभ DM C P Tripathi ने किया। कहा कि साहित्य व विशेष व्यक्तित्व के धनी Dr.Urmilesh सदैव याद किए जाएंगे। उद्घोषक Aseem Saxena ने भी Dr Urmilesh के जीवन पर प्रकाश डाला। Dr. Kshama Johri ने Dr Urmilesh के प्रसिद्ध गीत बेवजह दिल पे कोई बोझ न भारी रखिए व उसकी चूड़ी उसकी चूनर को प्रस्तुत किया। Ruchi Shukla ने कल हुई न हुई और Rita Sharma ने गजल सूना सूना है सावन तुम्हारे बिना व अपने घरों में ही रहे की मनमोहक प्रस्तुति दी। कलाकारों ने एक से बढ़कर एक कार्यक्रम पेश किये। समिति की ओर से यहां दो माह के लिए प्याऊ लगवाया गया। इस मौके पर CDO Jayant Kumar Dixit, नगर मजिस्ट्रेट Nidhi Srivastava, Dr Urmilesh की धर्मपत्नी Manjul Shankhdhar, Richa Ashesh, Agam Ashesh, Dr. Sonrupa, Vishal Rastogi, Chandraprakash Dixit, Wahidullah Khan, Satish Chand Mishra, Ashok Khurana, Dr Gopal Mishra, Dr Ram Bahadur Vyathit, Anup Rastogi, Amit Varshney, Kulbhushan Sharma, Sumit Mishra, Iqbal Asalam, Atul Shrotriya, Rahul Bharadwaj, Pradeep Sharma, Nitin Gupta, Dr Saurabh Shankhdhar, Anand Rastogi, K S Gupta, Dhirendra Tondon समेत तमाम लोग मौजूद रहे।,कार्यक्रम के संयोजन एवं Dr Urmilesh के पुत्र Dr Akshat Ashesh ने सभी का आभार व्यक्त किया।
Venue : USA
Organizers : Antar Rashtriya Hindi Samiti
Poets : Dr. Kunwar Bechain, Suresh Avasthi, Deepak Gupta
Date : 5 May 2013
Occasion : World Laughter Day
Venue : Sonipat, haryana
Poets : Balbir Singh Khichdi (Modinagar), Jagbir Rathi (Rohtak), Shambhu Shikhar (Delhi), Chirag Jain (Delhi), Mohinder Sharma (Delhi), Preeti Vishwas (Delhi), Joginder Mor, Rajkumar Raju.
Date : 4 May 2013
Occasion : 19th foundation day of Delhi Metro
Venue : Airforce Auditorium, Dhaula Kuan
Poets : Surender Sharma, Mahendra Ajanabi, Dr. Sarita Sharma, Yusuf Bharadwaj, Anil Agravanshi.
वरच्युस क्लब, Mandi Dabwali, Sirsa, Haryana की ओर से दिनाँक 4 May 2013 को भव्य Hasya kavi Sammelan का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में Hari Singh Dilbar (Sirsa), Arun Gemini (Delhi), Shambhu Shikhar (Delhi), Vedprakash Ved (Delhi), Mumtaz Naseem (Aligarh) और Charanjeet Charan (Faridabad) ने Chirag Jain (Delhi) के संचालन में काव्यपाठ किया।
Venue : Mandi Dabwali
Date : 4 May 2013
Poets : Arun Gemini, Chirag Jain, Vedprakash Ved, Shambhu Shikhar, Hari Singh Dilbar, Mumtaz Naseem, Charanjeet Charan
Poets : Chirag Jain, Surender Sharma, Ashok Chakradhar, Arun Gemini, Pradeep Chobey
Hasya Kavi Sammelan मनोरंजन का एक ऐसा माध्यम है, जो मनोरंजन के साथ-साथ समाज को शिक्षित करने और दिशा देने का भी काम करता है। आज World Laughter Day के मौके पर हमने आपके लिए ऐसा ही Kavi-Sammelan आयोजित किया है। हंसी के इस जलसे का संचालन कर रहे हैं Chirag Jain...
Chirag Jain : दोस्तो, Laughter Day के मौके पर आयोजित इस Hasya Kavi Sammelan में आपका स्वागत करता हूं। भागदौड़ भरी जिंदगी से हंसी के कुछ पल चुराना तो बनता है। हंसी के इस जलसे में हम मुस्कान से शुरुआत कर खिलखिलाहट, हंसी, ठहाके और अट्टहास तक जाते हैं। आपके ठहाकों और तालियों की गड़गड़ाहट के बीच कवि चुपके से अहसास का एक नाजुक-सा जुमला कब आपके दिल तक पहुंचा देता है, कहना मुश्किल है। तो आइए शुरू करते हैं, आज का जलसा।
जलसे की शुरुआत मैं एक ऐसे कवि से करवाना चाहता हूं, जो पिछले पैंतीस बरस से अपनी चुटकियों और हरियाणवी अंदाज से हास्य कविता की दुनिया में एक मुकम्मल पहचान बना चुके हैं। ‘Wah-Wah’ से लेकर ‘Wah-Wah Kya Baat Hai’ तक और U.S.A. से लेकर HongKong तक पूरे विश्व में तमाम माध्यमों से जिस शख्स का जिक्र उसकी ठहाके भरी प्रस्तुतियों के लिए होता है, उसका नाम है Arun Gemini।
Arun Gemini : नमस्कार दोस्तो, चिराग मेरे बारे में बता रहे हैं कि मैं हरियाणे से हूं। दरअसल, हरियाणे में हर काम अलग अंदाज में किया जाता है। किसी दूसरे प्रदेश का आदमी वहां काम कर ही नहीं सकता। जैसे किसी और प्रदेश का आदमी वहां डॉक्टरी करना चाहे, तो कर ही नहीं सकता। क्योंकि मरीज बीमारी ही ऐसी बताएगा।
वह बोलेगा, ‘डॉक्टर साब! कलेजे में धुम्मा-सा उट्ठै है। …अब कर ले डॉक्टर, क्या इलाज करेगा! अच्छा, डॉक्टर भी ऐसे ही हैं वहां। एक डॉक्टर मरीज का इलाज कर रहा था, तो देखा मरीज की दोनों टांगें नीली पड़ गईं। डॉक्टर बोला, ‘जहर चढ़ रहा है, टांगें काटनी पड़ेंगी।’ दोनों टांगें काटी गईं साहब, नकली टांगें लगवाई गईं। कुछ दिन बाद वो नकली टांगें भी नीली पड़ गईं। डॉक्टर बोला, ‘ओहो! तुम्हारी तो जींस ही रंग छोड़ती है।’
तो ऐसा मस्त प्रदेश है साहब Haryana। आइए मैं इसी हरियाणवी मस्ती की एक छोटी-सी Kavita सुना देता हूं…
इंटरव्यू देने पहुंचा
हरियाणे का एक बेरोजगार
एक पोस्ट के लिए
आए थे अस्सी उम्मीदवार
किसे रखना है, यह बात तय थी,
इसलिए चयनकर्ताओं के सवालों में
न सुर, न ताल और न लय थी।
एक चयनकर्ता ने
हरियाणवी छोरे से पूछा-
बताओ
ताजमहल कहां है?
हरियाणवी छोरा बोला-
‘जी… रोहतक में’
‘बहुत अच्छा… बहुत अच्छा…
इतना भी नहीं जानता
नौकरी क्या खाक करेगा?’
‘आगरे में बता दूं
तो क्या रख लेगा?’
Chirag Jain– यह थे Arun Gemini। अब चलते हैं उस कवि के पास, जिसे हास्य का Atom बम कहा जाता है। Gwalior, Madhya Pradesh से पधारे हास्य के एक ऐसे हस्ताक्षर को मैं मंच पर आवाज देना चाहता हूं, जो खुद पर हंसने की कला में माहिर हैं। Pradeep Chobey जी हंसने-हंसाने के मूड में आएं, इसके लिए मैं Alhar Bikaneri जी के गीत की दो पंक्तियां खर्च करना चाहता हूं- खुद पे हंसने की कोई राह निकालूं, तो हंसूं / अभी हंसता हूं, जरा मूड में आ लूं, तो हंसूं।
Pradeep Chobey : आप सभी को Laughter Day की बहुत सारी बधाइयां! दोस्तो, आज मैं आपके लिए लाया हूं आज के हालात की एक गजल, जिसका उन्वान (शीर्षक) है- हर तरफ गोलमाल है साहब।
हर तरफ गोलमाल है साहब
आपका क्या खयाल है साहब
कल का भगुआ चुनाव जीता तो
आज भगवत दयाल है साहब
लोग मरते रहें तो अच्छा है
अपनी लकड़ी की टाल है साहब
आपसे भी अधिक फले फूले
देश की क्या मजाल है साहब
मुल्क मरता नहीं तो क्या करता
आपकी देखभाल है साहब
रिश्वतें खाके जी रहे हैं लोग
रोटियों का अकाल है साहब
इसको डेंगू, उसे चिकनगुनिया
घर मेरा अस्पताल है साहब
तो समझिए कि पात-पात हूं मैं
वो अगर डाल-डाल हैं साहब
गाल चांटे से लाल था अपना
लोग समझे गुलाल है साहब
मौत आई तो जिंदगी ने कहा-
‘आपका ट्रंक कॉल है साहब’
Chirag Jain : Pradeep Chobey जी की इस धमाकेदार गजल के बाद आइए अब रुख करते हैं हिंदी कविता के उस ध्रुव तारे की ओर जिसने हास्य कविता की धार को व्यंग्य से और पैना किया है। शब्दों से खेलने में माहिर हिंदी कविता के इस बेजोड़ सितारे का नाम है Ashok Chakradhar।
Dr. Ashok Chakradhar : आज का दिन बहुत सुहाना है। कुछ सुनना है, कुछ सुनाना है। कुल मिलाकर हंसना-हंसाना है। Laughter Day पर ‘लाफने’ की रस्म को मैं भी निभाता हूं। आइए आपको एक कविता मैं भी सुनाता हूं।
नदी में डूबते आदमी ने
पुल पर चलते आदमी को
आवाज लगाई- ‘बचाओ!’
पुल पर चलते आदमी ने
रस्सी नीचे गिराई
और कहा- ‘आओ!’
नीचे वाला आदमी
रस्सी पकड़ नहीं पा रहा था
और रह-रह कर चिल्ला रहा था-
‘मैं मरना नहीं चाहता
बड़ी महंगी ये जिंदगी है
कल ही तो एबीसी कंपनी में
मेरी नौकरी लगी है।’
इतना सुनते ही
पुल वाले आदमी ने
रस्सी ऊपर खींच ली
और उसे मरता देख
अपनी आंखें मींच ली
दौड़ता-दौड़ता
एबीसी कंपनी पहुंचा
और हांफते-हांफते बोला-
‘अभी-अभी आपका एक आदमी
डूब के मर गया है
इस तरह वो
आपकी कंपनी में
एक जगह खाली कर गया है
ये मेरी डिग्रियां संभालें
बेरोजगार हूं
उसकी जगह मुझे लगा लें।’
ऑफिसर ने हंसते हुए कहा-
‘भाई, तुमने आने में
तनिक देर कर दी
ये जगह तो हमने
अभी दस मिनिट पहले ही
भर दी
और इस जगह पर हमने
उस आदमी को लगाया है
जो उसे धक्का देकर
तुमसे दस मिनिट पहले
यहां आया है।’
Chirag Jain : तो जनाब! यह था बेरोजगारी का सूरते-हाल। और आइए अब चलते हैं हास्य कविता के उस सुपरस्टार की ओर, जिन्हें हाल ही में भारत सरकार ने Padma Shri अलंकार से सुशोभित किया है। हास्य कविता को लोकप्रिय बनाने और अपने खास अंदाज से श्रोताओं पर अपनी छाप छोड़ने वाले Surendra Sharma हिंदी की मंचीय कविता में एक युग के रूप में जाने जाते हैं।
Surender Sharma : चार लैन सुणा रियो ऊं
हमने अपनी पत्नी से कहा-
‘तुलसीदास जी ने कहा है-
ढोल, गंवार, शूद्र, पशु, नारी
ये सब ताड़न के अधिकारी
-इसका अर्थ समझती हो
या समझाएं?’
पत्नी बोली-
‘इसका अर्थ तो बिल्कुल ही साफ है
इसमें एक जगह मैं हूं
चार जगह आप हैं।’
चार लैन और सुणा रियो ऊं…
‘पत्नी जी!
मेरो इरादो बिल्कुल ही नेक है
तू सैकड़ा में एक है।’
वा बोली-
‘बेवकूफ मन्ना बणाओ
बाकी निन्याणबैं कूण-सी हैं
या बताओ।’
इन चार लाइणा में ट्रेन का सीन है…
घराली बोली-
‘एजी!
ऊपर की बर्थ पे कैंया जाऊं
डर लागै है, गिर जाऊंगी।’
मैं बोल्यो- ‘री भागवान!
थै ऊपर नै तो जाओ,
थारे जाते ही
बर्थ नीचै आ जावेगी।’
दोस्तो, Laughter Day के इस मौके पर इतना ही कहना चाहूंगा कि Osho ने कहा है- जब आप हंस रहे होते हो, तो खुदा की इबादत कर रहे होते हो। और मैं कहता हूं कि जब आप किसी को हंसा रहे होते हो, तो खुदा आपके लिए इबादत कर रहा होता है।
Chirag Jain : आज के इस जलसे को एक कवि की इन चार पंक्तियों से विराम देते हैं…
अपने जख्मों को भी आइना बनाया हमने
आपको हंसता हुआ चेहरा दिखाने के लिए
इतना आसान नहीं खुद का तमाशा करना
कलेजा चाहिए औरों को हंसाने के लिए