चल गई : शैल चतुर्वेदी
वैसे तो एक शरीफ इंसान हूं
आप ही की तरह श्रीमान हूं
मगर अपनी आंख से
बहुत परेशान हूं
अपने आप चलती है
लोग समझते हैं-
चलाई गई है
जानबूझ कर मिलाई गई है।
एक बार बचपन में
शायद सन पचपन में
क्लास में
एक लड़की बैठी थी पास में
नाम था सुरेखा
उसने हमें देखा
और आंख बाईं चल गई
लड़की हाय हाय करती
क्लास छोड़ बाहर निकल गई।
थोड़ी देर बाद
हमें है याद
प्रिंसिपल ने बुलाया
लंबा-चौड़ा लैक्चर पिलाया
हमने कहा कि जी भूल हो गई
वो बोला- ऐसा भी होता है भूल में
शर्म नहीं आती
ऐसी गंदी हरकतें करते हो स्कूल में?
और इससे पहले कि हकीकत बयान करते
कि फिर चल गई।
प्रिंसिपल को खल गई।
हुआ यह परिणाम
कट गया नाम
बमुश्किल तमाम
मिला एक काम।
इंटरव्यू में
खड़े थे क्यू में
एक लड़की थी सामने अड़ी
अचानक मुड़ी
नज़र उसकी हम पर पड़ी
और आंख चल गई
लड़की उछल गई
दूसरे उम्मीदवार चौंके
उस लड़की की साइड लेकर हम पर भौंके
फिर क्या था
मार-मार जूते-चप्पल
फोड़ दिया बक्कल
सिर पर पांव रखकर भागे
लोग-बाग पीछे, हम आगे
घबराहट में घुस गए एक घर में
भयंकर पीड़ा थी सिर में
बुरी तरह हांफ रहे थे
मारे डर के कांप रहे थे
तभी पूछा उस गृहिणी ने….
कौन?
हम खड़े रहे मौन
वो बोली- बताते हो या किसी को बुलाऊँ?
और उससे पहले कि जबान हिलाऊँ
चल गई
वह मारे गुस्से के जल गई
साक्षात् दुर्गा सी दीखी
बुरी तरह चीखी
बात की बात में
जुड़ गए अड़ोसी-पड़ोसी
मौसा-मौसी
भतीजे-मामा
मच गया हंगामा
चड्डी बना दिया हमारा पाजामा
बनियान बन गया कुर्ता
मार-मार बना दिया भुरता
हम चीखते रहे
और पीटने वाले हमें पीटते रहे
भगवान जाने कब तक निकालते रहे रोष
और जब आया हमें होश
तो देखा अस्पताल में पड़े थे
डॉक्टर और नर्स घेरे खड़े थे
हमने अपनी एक आंख खोली
तो एक नर्स बोली-
दर्द कहां है?
हम कहां-कहां बताते
और इससे पहले कि कुछ कह पाते
चल गई
नर्स कुछ नहीं बोली बाई गॉड!
मगर डॉक्टर को खल गई
बोला- इतने सीरियस हो
फिर भी ऐसी हरकत कर लेते हो इस हाल में
शर्म नहीं आती
मुहब्बत करते हुए अस्पताल में?
उन सबके जाते ही आया वार्ड-ब्वाय
देने लगा अपनी राय
भाग जाएं चुपचाप
नहीं जानते आप
बात बढ़ गई है
डॉक्टर को गढ़ गई है
केस आपका बिगड़वा देगा
न हुआ तो मरा बताकर
जिन्दा ही गड़वा देगा।
तब अंधेरे में आंख मूंदकर
खिड़की से कूदकर भाग आए
जान बची तो लाखों पाए।
एक दिन सकारे
बाप जी हमारे
बोले हमसे-
अब क्या कहें तुमसे?
कुछ नहीं कर सकते तो शादी ही कर लो
लड़की देख लो
मैंने देख ली है
जरा हैल्थ की कच्ची है
बच्ची है, फिर भी अच्छी है
जैसे भी, आखिर लड़की है
बड़े घर की है,
फिर बेटा
यहां भी तो कड़की है।
हमने कहा-
जी अभी क्या जल्दी है?
वे बोले-
गधे हो
ढाई मन के हो गए
मगर बाप के सीने पर लदे हो
वह घर फंस गया तो संभल जाओगे।
खोटे सिक्के हो, मगर चल जाओगे।
तब एक दिन भगवान से मिल के
धड़कते दिल से
पहुंच गए रुड़की, देखने लड़की
शायद हमारी होने वाली सास
बैठी थीं हमारे पास
बोलीं-
यात्रा में तकलीफ तो नहीं हुई
और आंख मुई
चल गई
वे समझीं कि मचल गई
बोलीं-
लड़की तो अंदर है
मैं तो लड़की की मां हूं
लड़की को बुलाऊँ
और इससे पहले कि जुबान हिलाऊँ
आंख चल गई दुबारा
उन्होंने किसी का नाम लेकर पुकारा
झटके से खड़ी हो गईं
हमारे पिताजी का पूरा प्लान धो गई।
हम जैसे गए थे, लौट आए
घर पहुंचे मुंह लटकाए
पिताजी बोले-
अब क्या फायदा मुंह लटकाने से
आग लगे ऐसी जवानी में
डूब मरो चुल्लू भर पानी में
नहीं डूब सकते तो आंख फोड़ लो
नहीं फोड़ सकते तो हमसे नाता तोड़ लो
जब भी कहीं जाते हो
पिटकर ही आते हो
भगवान जाने कैसे चलाते हो?
अब आप ही बताइए
क्या करूं
कहां जाऊं
कहां तक गुन गाऊं अपनी इस आंख के
कम्बख्त जूते खिलवाएगी
लाख-दो लाख के
अब आप ही संभालिए
मेरा मतलब है
कोई रास्ता निकालिए
जवान हो या वृध्दा
पूरी हो या अध्दा
केवल एक लड़की
जिसकी एक आंख चलती हो
पता लगाइए
और मिल जाए तो
हमारे आदरणीय काका जी को बताइए।
To Book Kavi Sammelan our Kavi Sammelan Organizers Contact Number is 9821159679. Just give us a call and we will handle your complete kavi sammelan event.